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गज़ल तूफान वहीं खडा हो गया, रुका में जहाँ जाके,

गज़ल
 
 तूफान वहीं खडा हो गया, रुका में जहाँ जाके,
तेरा पता जो पूछा मैंने, गली तेरी में जाके।

अभी तो आफताब था निकला, था निकला में जब घर से,
आँखों में अश्क आये, रुका जो तेरे घर जाके।

इस खून में तू बहती है, तेरे हिज्र के मारे,
मुसव्विर अब बनाता है, तस्वीर हर गली जाके।

ऐ साकी इक जाम तो दे, मेरे महबूब के अश्कों से,
मुकम्मल ना हुई बात ये, इल्तज़ा की जो तेरे आगे।

बाद-ए-सबा बना दिल ये, महफिल में जो आए,
परमार तेरा कोई रिफ़ाक़त नहीं, बैठे तू जहाँ जाके।


आफताब- सूरज, हिज्र- जुदाई, मुसव्विर- चित्रकार, साकी- शराब पिलानेवाला, इल्तज़ा- प्रार्थना, बाद-ए-सबा- सवेरे की हवा, रिफ़ाक़त- साथी #gazal #Hindi #urdu #poem #Poetry #SAD
गज़ल
 
 तूफान वहीं खडा हो गया, रुका में जहाँ जाके,
तेरा पता जो पूछा मैंने, गली तेरी में जाके।

अभी तो आफताब था निकला, था निकला में जब घर से,
आँखों में अश्क आये, रुका जो तेरे घर जाके।

इस खून में तू बहती है, तेरे हिज्र के मारे,
मुसव्विर अब बनाता है, तस्वीर हर गली जाके।

ऐ साकी इक जाम तो दे, मेरे महबूब के अश्कों से,
मुकम्मल ना हुई बात ये, इल्तज़ा की जो तेरे आगे।

बाद-ए-सबा बना दिल ये, महफिल में जो आए,
परमार तेरा कोई रिफ़ाक़त नहीं, बैठे तू जहाँ जाके।


आफताब- सूरज, हिज्र- जुदाई, मुसव्विर- चित्रकार, साकी- शराब पिलानेवाला, इल्तज़ा- प्रार्थना, बाद-ए-सबा- सवेरे की हवा, रिफ़ाक़त- साथी #gazal #Hindi #urdu #poem #Poetry #SAD