बचपन बीता खेलकूद में, जवानी में थी बेकारी, परिवार बढ़ा तब बोझ बढ़ी, समझी दुनियादारी। अपने कर्तव्यों को जानों, समय का मोल पहचानो, आज को ना जाया कर, तू कर ले कल की तैयारी। बेफिक्र गर रहा उम्र भर, वक़्त यूँ ही गुज़र जाएगा, रोओगे पछताओगे, पर हाथ कुछ भी ना आएगा। नासमझ ना बन तू, अब दिखाओ कुछ समझदारी, आज को ना जाया कर, तू कर ले कल की तैयारी। आज जो किया जतन, वो कल काम तेरे आएगा, उम्र के अंतिम पड़ाव पर, तू हाथ नहीं फैलायेगा। मौज मस्ती और सुख चैन से, गुजरेगी उम्र सारी, आज को ना जाया कर, तू कर ले कल की तैयारी। सुप्रभात, 🌼🌼🌼🌼 🌼आज का हमारा विषय "कल की तैयारी " बहुत ख़ूबसूरत है, आशा है आप लोगों को टॉपिक पसंद आएगा। 🌼आप सब सुबह की चाय की चुस्की लेते हुए लिखना आरंभ कीजिए।