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जिस दिन मिले थे हम दोनों उसी दिन आया था मेरे जीवन

जिस दिन मिले थे हम दोनों
उसी दिन आया था मेरे जीवन में बसंत

ले कर तुम्हारा चुम्बन 
गौरवान्वित हुआ था कि
खिला सकता हूँ मैं भी गुलाब

तुम्हारे आलिंगन में मैं
हो गया था आसमान सा विस्तारित
हर विपदा से सुरक्षित, सार्मथ्यवान और साहसी

मैं जीना चाहता हूँ तुम्हारे प्रेम में
सागर में डूबते सूरज की तरह
लालीमामय, अटूट, पूरा का पूरा

©Rabindra Prasad Sinha
  #अनपढ़प्रेम