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क्यों ये नज़रे उनसे टकराई क्यों ये दिल की धड़कनें

क्यों ये नज़रे उनसे टकराई 
क्यों ये दिल की धड़कनें बढ़ आई
भेद दिलों के कैसे मैं खोलूँ
समझ नहीं कुछ मुझको आई 
उनके दो मीठे बोल ही काफी थे 
दिल पर छुरियाँ चलाने को
ज़िन्दगी में खुशियाँ लाने को 
और चेहरे मुस्कुराने को

©Prabhat Kumar
  #प्रभात  लाइफ कोट्स
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Prabhat Kumar

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#प्रभात लाइफ कोट्स

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