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देख मनुज की अन्तः पीड़ा, आओ अपने दुःख क

देख मनुज की अन्तः पीड़ा,
            आओ अपने दुःख को भूले
करे विकास हम इतना ज्यादा
             जाकर ऊंचे नभ को छू ले

जीवन मे सुरभित समीर बहे
                   यही संजोया सपना है
देखो दृष्टि उठाकर देखो
                     खेत लहलहा अपना है

तन हो निर्मल,मन हो निर्मल
                  जीवन खुशियों से भरा रहे
यही कामना है बस मेरी
                मन सबका, सबसे मिला रहे

दूर अंधेरा उर का होगा,
               तभी रात पूनम की होगी
होगा जब ये पूरा सपना
                बरसात माह सावन की होगी

आये सबके जीवन मे अब
            सुंदर सा मनभावन प्रात
खिलें हृदय की सोयी कलियां
             कभी न हो अंधेरी रात

होगा देश जब अपना ऐसा 
             अपार खुशी जब सबको होगी
मित्र आपका यह आस सँजोये
              तृप्ति सारे जन को होगी

🤗 #आओ_नभ_को_छू_लें
देख मनुज की अन्तः पीड़ा,
            आओ अपने दुःख को भूले
करे विकास हम इतना ज्यादा
             जाकर ऊंचे नभ को छू ले

जीवन मे सुरभित समीर बहे
                   यही संजोया सपना है
देखो दृष्टि उठाकर देखो
                     खेत लहलहा अपना है

तन हो निर्मल,मन हो निर्मल
                  जीवन खुशियों से भरा रहे
यही कामना है बस मेरी
                मन सबका, सबसे मिला रहे

दूर अंधेरा उर का होगा,
               तभी रात पूनम की होगी
होगा जब ये पूरा सपना
                बरसात माह सावन की होगी

आये सबके जीवन मे अब
            सुंदर सा मनभावन प्रात
खिलें हृदय की सोयी कलियां
             कभी न हो अंधेरी रात

होगा देश जब अपना ऐसा 
             अपार खुशी जब सबको होगी
मित्र आपका यह आस सँजोये
              तृप्ति सारे जन को होगी

🤗 #आओ_नभ_को_छू_लें