आज–कल नींदे कहीं गुम सी है, और आंखे भी कुछ नम सी है। आज कल शरीर में भी कुछ थकान है, और खामोशी में रहती ये जुबान है। आज–कल दूरी भी है थोड़ी यारियों से, और कंधे भारी है कुछ जिम्मेदारियों से। ©Vivek Singh #Twowords आज–कल नींदे #कहीं #गुम सी है, आज–कल आंखे भी कुछ #नम सी है। आज कल #शरीर में भी कुछ #थकान है, आज कल #खामोशी में रहती ये #जुबान है। आज–कल दूरी भी है थोड़ी यारियों से,