खामोशियां खामोशियों से दोस्ती कुछ इस कदर है मेरी, चाहे अकेला छोड़ दे जमाना ये खामोशी कभी साथ ना छोड़ी, सकून भी मेरे दिल कि इन खामोशियों में खोई, बड़ी बैचैन सी ये खामोशी, कुछ शोर सा मचाए, ये शोर की आवाज भी इन खामोशियों में खो जाए, कभी ये मुझे डराए, कभी प्यार सा जताए, ये खामोशियां मुझसे जाने क्या कहना चाहे। -- लक्ष्मी कौशल #khamoshi #khamoshiya #poem #shayari