लगा के हाथों पे मेहंदी, वो आज ख़ुशी से सज रही होगी, ये कैसा आलम है, मेरी मोहब्बत आज मुझी से बट रही होगी, अब जीने की तमन्ना नही है तेरे बिन, और मेरे कफ़न की चर्चा, उसके मोहल्ले में, कुछ दिनों बाद भी चल रही होगी, #_अल्फ़ाज़_# #मेहंदी