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बाहर जितना शोर है, अंदर उतना हीं खामोशी.. मैं वाकि

बाहर जितना शोर है,
अंदर उतना हीं खामोशी..
मैं वाकिफ हूं तेरे जह्न से,
तुझे खोखला कर रही है मदहोशी..!!

©विष्णु कांत
  #मदहोशी