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जो घर से तुम चलो सादिक़ दुआ के साथ भी रहना, तसलसुल

जो घर से तुम चलो सादिक़ दुआ के साथ भी रहना,
तसलसुल तोड़ देना गर खुदा के साथ भी रहना। 

चराग़ों की तरह गर जलो तो याद भी रखना,
क़लाम-ए-तूफां कर लेना, हवा के साथ भी रहना। 

वो गरचे तुझको राहों में कहीं यूँ मिल भी जायें तो,
खुश-आज़िज़ करना उनको और बिठा के साथ भी रहना।

जो घर से तुम चलो सादिक़ दुआ के साथ भी रहना, तसलसुल तोड़ देना गर खुदा के साथ भी रहना। चराग़ों की तरह गर जलो तो याद भी रखना, क़लाम-ए-तूफां कर लेना, हवा के साथ भी रहना। वो गरचे तुझको राहों में कहीं यूँ मिल भी जायें तो, खुश-आज़िज़ करना उनको और बिठा के साथ भी रहना। #शायरी #urdu #tanha #urdu_poetry #hindi_poetry #tariqazeemtanha #shayari143

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