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हाथ पकड़ कर सीखा रहे जिसको बचपन में चलना

     हाथ पकड़ कर सीखा रहे
     जिसको बचपन में चलना
     कदम कदम पर राह दिखाते
      गिर कर रोज सम्हलना
             जीवन को जीने की शैली
              शिक्षक बन कर सिखाया
               अच्छे बुरे में फर्क है कितना,
                रोज रोज समझाया
       आशाएं लेकर के मन में
         तुम पतवार बनोगे
           शक्तिहीन जब हो जाऊंगा
           पालनहार बनोगे।   
                 देख जमाना डर लगता है
                  बदल न जाना तुम भी
                   देख के दुनिया में औरों सा
                     मत ठुकराना तुम भी
            ये सच है कि सबका सूरज
            इक दिन होगा ढलना

©Sunil Kumar Maurya Bekhud
  आशाएं और हम

आशाएं और हम #कविता

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