Alone अकेला हूँ, अकेला हूँ.. बैठा हूँ तन्हाई में, अपनी ही परछाई में, याद मुझको तेरी अब, आती नहीं है क्यों? अकेला हूँ, अकेला हूँ.. शाम था, तेरा साथ था, मेरे गुस्से में मेरा प्यार था, बातों को मेरी तू, समझ ना पायी क्यों? अकेला हूँ, अकेला हूँ.. जागते थे रातों में, एक दूजे की बातों में, जानू ना अब ऐसी फिर, दोंनो में खामोसी क्यों? अकेला हूँ, अकेला हूँ.. -विनीत जालुका(Soch) #alone #Life #Love #SAD #Shayari #poem #Quote #Quotes #feelings अकेला हूँ, अकेला हूँ.. बैठा हूँ तन्हाई में, अपनी ही परछाई में, याद मुझको तेरी अब, आती नहीं है क्यों? अकेला हूँ, अकेला हूँ..