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मैंने पहली बार पतंग उड़ाई उड़ना शुरू करने में इतना त

मैंने पहली बार पतंग उड़ाई
उड़ना शुरू करने में इतना तनाव देखा मैंने पतंग के चेहरे पर,
और हर बार दिशा बदलने के प्रयास में कितना 
बोझ उसने अपने कंधे पे ढोया,  जिस ओर भी झुकी मोड़ने को।
हवा से जंग है, जब भी उसके विपरीत होना हो, 
आसान नही है। मेरे हाथ से बंधी कितना असहज मालूम पड़ती थी। 

और एक झटके में सारा द्वन्द गिर गया,
छोड़ दी गई डोर,
पतंग का सारा तनाव समाप्त, 
कितना प्रसन्न मुख लिए वो हवा के साथ एक हो गई। 
अब जहाँ वो ले जाये, जिधर भी मोड़ दे, 
उठाये या गिराए, कोई आसक्ति ना तो आकाश से ना ही धरा से। जैसे कोई इच्छा ही ना रही हो। 
मैं आँखों की सीमा से बंधा कुछ दूर तक ही उसे देख पाया 
लेकिन इस सच को तत्व से जान गया, 
ऐसा लग रहा था पतंग मुझ को जी कर दिखा रही है। 
और जीवन का सारा रहस्य खुल गया,
वैसे तो दिन ढल रहा था 
और मेरे जीवन का सूर्य प्रखर पर आ गया। 
धन्यवाद उस ऊर्जा को सकार होकर मुझमे बह गई।

©RobiinN पानी भी मत होना कुछ होना तो हवा होना।
मैंने पहली बार पतंग उड़ाई
उड़ना शुरू करने में इतना तनाव देखा मैंने पतंग के चेहरे पर,
और हर बार दिशा बदलने के प्रयास में कितना 
बोझ उसने अपने कंधे पे ढोया,  जिस ओर भी झुकी मोड़ने को।
हवा से जंग है, जब भी उसके विपरीत होना हो, 
आसान नही है। मेरे हाथ से बंधी कितना असहज मालूम पड़ती थी। 

और एक झटके में सारा द्वन्द गिर गया,
छोड़ दी गई डोर,
पतंग का सारा तनाव समाप्त, 
कितना प्रसन्न मुख लिए वो हवा के साथ एक हो गई। 
अब जहाँ वो ले जाये, जिधर भी मोड़ दे, 
उठाये या गिराए, कोई आसक्ति ना तो आकाश से ना ही धरा से। जैसे कोई इच्छा ही ना रही हो। 
मैं आँखों की सीमा से बंधा कुछ दूर तक ही उसे देख पाया 
लेकिन इस सच को तत्व से जान गया, 
ऐसा लग रहा था पतंग मुझ को जी कर दिखा रही है। 
और जीवन का सारा रहस्य खुल गया,
वैसे तो दिन ढल रहा था 
और मेरे जीवन का सूर्य प्रखर पर आ गया। 
धन्यवाद उस ऊर्जा को सकार होकर मुझमे बह गई।

©RobiinN पानी भी मत होना कुछ होना तो हवा होना।