झूट की जो ये बनी है बाम पड़ने दो, याद आऊंगा ज़रा सा काम पड़ने दो, जा रहे है जो परिंदे छोड़ के मुझको, लौट आएंगे दुबारा शाम पड़ने दो। #अक्षय व्यास#