दिल लुभाने कोई ऐसा दिलदार हो। ज़ुल्फ़ ख़म आँखों में उसके अनवार हो।। वक़्त जब भी उससे मिलने का हो 'अयाँ। लब मेरे हों और उसका रुख़्सार हो।। गर इशारा मैं करूं तू देना झलक। जब इशारे में हवा की झंकार हो।। मैं लिखूं तू गुन-गुनाए ऐसी ग़ज़ल। हो ग़ज़ल का बहर मैं तुम अश'आर हो।। काश अख़्तर हो तमन्ना कामिल तेरी। तूझपे सेहरा उसपे सजता गुल-हार हो।। बहर जदीद- 2122 2122 2212 ज़ुल्फ़ ख़म= curly hair अनवार= चमक, रैशनियाँ 'अयाँ= ज़ाहिर रुख़्सार= cheek बहर= rhyming of poetry अश'आर= couplet of poetry गुल-हार= गुलाब का हार