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डायरी के बिखरे पन्नों को समेट कर पुरानी यादों में

डायरी के बिखरे पन्नों को समेट कर 
पुरानी यादों में खो गया हूँ
चलते चलते जब थक जाता था 
वृक्षों के नीचे जाकर बैठ जाता था
तेज धूप में भी सुकून पाता था 
उस समय चाय भी कहाँ 
सड़कों के किनारे मिल पाता था
फिर भी दिल को बहुत सुकून आता था 
आज न जाने वो सुकून कहाँ खो गया है 
अपने अब अपने कहाँ रहे 
वक़्त ने सब बर्बाद कर दिया है

©Prabhat Kumar
  #प्रभात