दूर तक छाए थे बादल और कहीं कोई साया न था इस तरह बरसात का मौसम अब की कभी आया न था रोज़ धुंधला सा जो दिखता था एक अक्स सा कोई बहुत बेचैन रहा दिल इन दिनों कोई सुकून पाया न था ✍अमित #बादल #बरिश #ज़िन्दगी