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गहरे राज़ खुद में सहेजती वो जादूगरनी सी थी गहरे र

गहरे राज़ खुद में सहेजती वो जादूगरनी सी थी

गहरे राज़ खुद में सहेजती वो जादूगरनी सी थी।
ग़म से कठोर बनती जाती वो मजदूरनी सी थी।
ग़म को गटक मीठी मुस्कान से जब मटकती है ,
पिला देती है अमृत सुधा वो एक  पनिहारिनी सी थी।

अम्बिका मल्लिक ✍️

©Ambika Mallik
  #स्त्री  Riya Sethi Ji poonam atrey Babli BhatiBaisla Kirti Pandey  Ashtvinayak Mili Saha Bhavana kmishra Anil Ray Anshu writer  कवि संतोष बड़कुर MIND-TALK Umme Habiba  @gyanendra pandey