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मन विचलित होगा, बैचेन होगा पर तुझको संभलना होगा अग

मन विचलित होगा, बैचेन होगा
पर तुझको संभलना होगा
अगर तुझे चाहिए मंजिल तो खुद को बदलना होगा।

राह -ए-मंजिल आसान नहीं होती
भूख, प्यास, दर्द सब होगा
पर तुझको चलना होगा
अगर तुझे चाहिए मंजिल तो.............................।

जुगनुओं से दोस्ती करनी होगी,
खुद के साथ वक्त बिताना होगा
कभी सूरज से पहले जागना होगा,
कभी सूरज के बाद ढलना होगा 
अगर तुझे चाहिए मंजिल तो.…..…................................।

बीच राह में मन घबराएगा
हार जाने का डर सताएगा
फिर तू किसके पास जायेगा
तब खुद ही खुद को तुझे विश्वास दिलाना होगा
फिर से एक बार आंखों को मंजिल का ख़्वाब दिखाना होगा
अगर तुझे चाहिए मंजिल तो....................................।

 जब एक रोज़ मंजिल तुझसे रू-ब-रू होगी 
हर किसी को तुझसे मिलने की जुस्तजू होगी
जब अपनी माशूका से मिलने जाए तो याद रखना
घर पर इंतजार करने वाली मां भी होगी।।।

©Arun
  #Apocalypse
arun5284063291320

Arun

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