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शाम कि धुप इस क़दर मेरे गालों को चुमती जाती हैं ज़

शाम कि धुप इस क़दर मेरे गालों को चुमती जाती हैं ज़रा खुद को सं भालो ये बात कहती जाती हैं

©दिनेश चन्द्र
  #शाम कि@ धुप इस #कदर मेरे गालों को चुमती@ जाती हैं ज़रा ख़ुदको #संभालो ये बात@ कहती जाती हैं #

#शाम कि@ धुप इस #कदर मेरे गालों को चुमती@ जाती हैं ज़रा ख़ुदको #संभालो ये बात@ कहती जाती हैं # #शायरी

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