तेरी हँसी में चुपी की खामोशी का लहजा जनता हूं बेख़बर निगाहें है,पर दिल के हर अरमान जनता हूं की कब तक मुश्कुराहट के पीछे दर्द छुपायेगा नाज़िम अपना कहने वालों के हाथो लुटे हर शख़्स को जनता हूं। तेरी #हँसी में #चुप्पी की #खामोशी का #लहजा जनता हूं #बेख़बर #निगाहें है,पर #दिल के हर #अरमान जनता हूं की कब तक #मुश्कुराहट के पीछे #दर्द छुपायेगा #नाज़िम #अपना कहने वालों के #हाथो #लुटे हर #शख़्स को जनता हूं। #khnazim