Nojoto: Largest Storytelling Platform

मुसलसल इश्क़ की खामोश निगाहें निगेहबान बन गयी। तेरी

मुसलसल इश्क़ की खामोश निगाहें निगेहबान बन गयी।
तेरी रुसवाई मेरी जिंदगी की आखिरी पहचान बन गयी।
 बिखरी यादों  की मेरी वो नाकाम कोशिशें गौरतलब थीं,
जो मौत को मंजूर थी वही मेरे हिस्से की जान बन गयी।
----राजेश कुमार
गोरखपुर(उत्तर प्रदेश)
दिनांक:-06/07/2024

©Rajesh Kumar #beautifulhousebeautifulhouse1beautifulhouse3