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((((( ओ मेरी जान ))))) ओ मेरी जान तुमसे बनाकर मै

((((( ओ मेरी जान )))))
 ओ मेरी जान तुमसे  बनाकर मैं पहचान, 
तुझे   सपनों   में  भरकर  ले  आऊंगा,
अगर  तुम  नजर  लड़ाना   छोड़  दो।
दिल के आगोश में तुम्हें भर लूंगा मैं 
अगर दिल  लगाना तुम  छोड़ दो।।
नजरे मेरी भी  थोड़ी  तिरछी हो जाती है,
मिलती है जब नजरे,आंखें मेरी शर्मा जाती है।।
ओ  मेरी जान  तुमसे  बढ़ाकर मैं पहचान,
मैं भी आंखें मिलाना छोड़ दूंगा,
अगर तुम नजर मिलाना छोड़ दो।।
तमन्नाओं की आग तुम्हारे ख्वाबों को,
सुलगती राख बना देगी।
दिल में  है अगर रिश्तो  में प्यार,
उगते सूरज भी तुम्हें बाहों में भर लेगी।।
निकल  आओ  मन  के  भंवर  से तुम बाहर।।
बेचैन बैठा हूं मैं तन्हाई में अकेला,
उम्र में  भी अब  छा  रहा है अंधेरा,
हो  जाने  दो तुम  अभी  भी  सवेरा।
ओ मेरी जान तुमसे बनाकर मैं पहचान,
मैं भी भंवर में  फंसना छोड़ दूंगा,
अगर तुम नजर लड़ाना छोड़ दो।।
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प्रमोद मालाकार कि पेशकश
31.12.23

©pramod malakar
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