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हमने किए हैं दफ़्न कई राज़ अब बताऊं क्या कफ़न




हमने किए हैं दफ़्न कई राज़ अब बताऊं क्या 
कफ़न ये ओढ़ने से पहले मुस्कुराऊं क्या।

खटक रही हूं नज़र में अगर ज़ियादा मैं
तेरे गुनाह भी इक बार मैं गिनाऊं क्या।

चमक रहा है नगीने सा‌ जो अंगूठी में 
उसी के दिल की वसीयत पे हक़ जताऊं क्या।

©V. Aaraadhyaa
  #कफ़न maharanapratap
vaaradhya2245

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#कफ़न maharanapratap #शायरी

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