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ग़ज़ल :- दीप मंदिर में जला के चल दिए । धर्म सबका है

ग़ज़ल :-
दीप मंदिर में जला के चल दिए ।
धर्म सबका है बता के चल दिए ।।१

जो खड़े थे राह में दुश्मन बने ।
फिर गले उनको लगा के चल दिए ।।२

जो नहीं इंसान को थे मानते ।
गोद में वह पशु खिला के चल दिए ।।३

आज करना देख स्वागत श्री राम का ।
बात सबको ये बता के चल दिए ।।४

मिल गये जब राम के दर्शन उन्हें ।
पुष्प फिर उन पर चढ़ा के चल दिए ।५

देखना है बातियों का आज दम ।
तेल तो वह सब चुरा के चल दिए ।।६

राम ही सबके प्रखर अब आदर्श हो ।
पाठ सबको ये पढ़ा के चल दिए ।।७

१७/०१/२०२३    -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-

दीप मंदिर में जला के चल दिए ।

धर्म सबका है बता के चल दिए ।।१


जो खड़े थे राह में दुश्मन बने ।
ग़ज़ल :-
दीप मंदिर में जला के चल दिए ।
धर्म सबका है बता के चल दिए ।।१

जो खड़े थे राह में दुश्मन बने ।
फिर गले उनको लगा के चल दिए ।।२

जो नहीं इंसान को थे मानते ।
गोद में वह पशु खिला के चल दिए ।।३

आज करना देख स्वागत श्री राम का ।
बात सबको ये बता के चल दिए ।।४

मिल गये जब राम के दर्शन उन्हें ।
पुष्प फिर उन पर चढ़ा के चल दिए ।५

देखना है बातियों का आज दम ।
तेल तो वह सब चुरा के चल दिए ।।६

राम ही सबके प्रखर अब आदर्श हो ।
पाठ सबको ये पढ़ा के चल दिए ।।७

१७/०१/२०२३    -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-

दीप मंदिर में जला के चल दिए ।

धर्म सबका है बता के चल दिए ।।१


जो खड़े थे राह में दुश्मन बने ।

ग़ज़ल :- दीप मंदिर में जला के चल दिए । धर्म सबका है बता के चल दिए ।।१ जो खड़े थे राह में दुश्मन बने । #शायरी