रखो खुद पे भरोसा, जितना रख सकते हो, गैरों के भरोसे नहीं कभी, नहीं कभी रहना चाहिए। जब तक हाथ पांव तेरे, हाथ पांव सलामत संगरूरवी, दुःख तकलीफ सहना चाहिए। मदद खुद खुदा, करता है उनकी, जो खुद पे, करते हैं,भरोसा जी। हो अपनी गलती ,अगर तो वह, ईलजाम ना किसी पे लगाते, ना करें कभी, किसी से रोसा जी। तुम ने खाद्य पदार्थ बोए ना, तुम ने की है बांसों की खेती। समय लगेगा काफ़ी, सब्र को फल मिलेगा, किसी के पीछे लग, ना कर इतनी छेती। ©Sarbjit sangrurvi रखो खुद पे भरोसा, जितना रख सकते हो, गैरों के भरोसे नहीं कभी, नहीं कभी रहना चाहिए। जब तक हाथ पांव तेरे, हाथ पांव सलामत संगरूरवी, दुःख तकलीफ सहना चाहिए।