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White हृदय में जो कुछ भी है वो कह नहीं पाती अधरों

White हृदय में जो कुछ भी है वो कह नहीं पाती
अधरों तक अब कोई बात नहीं आती

भौतिक जगत में मिलना तो आम बात है
लेकिन दबे मन की व्यथा कही नहीं जाती

तुम तक नहीं पहुँच पाते अविचल मन के पंछी
तुम्हारे हृदय की डाली टूट-टूट जाती

सारे ब्रम्हांड का भार सा है इस पीड़ित मन में
हल्का करने को इस विकल मन में अश्रुओं की लड़ी लग जाती

प्रकृति का नियम है,जब भार बढ़ेगा तो हल्का भी होगा
मन की इस बाढ़ में काश!तुम्हारी संवेदना नाव तैरती मिल जाती।

©Richa Dhar #love_shayari अंतिम इक्षा
White हृदय में जो कुछ भी है वो कह नहीं पाती
अधरों तक अब कोई बात नहीं आती

भौतिक जगत में मिलना तो आम बात है
लेकिन दबे मन की व्यथा कही नहीं जाती

तुम तक नहीं पहुँच पाते अविचल मन के पंछी
तुम्हारे हृदय की डाली टूट-टूट जाती

सारे ब्रम्हांड का भार सा है इस पीड़ित मन में
हल्का करने को इस विकल मन में अश्रुओं की लड़ी लग जाती

प्रकृति का नियम है,जब भार बढ़ेगा तो हल्का भी होगा
मन की इस बाढ़ में काश!तुम्हारी संवेदना नाव तैरती मिल जाती।

©Richa Dhar #love_shayari अंतिम इक्षा
richadhar9640

Richa Dhar

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