मुझे इश्क़ से ख़ौफ़ नहीं, चाहती हूं मैं भी आबशार सी उल्फत हो, बस नफरत है जो इखलास नहीं। एक शाम हो नसीम सी, तख़य्यूल में वक़्त गुजरे, हयात हो हमारी भी अच्छी हम भी इंसान है, शिकार नहीं। #shayeri #poem #written #by #me #words #love