विद्रोही कैसे तुम बिन मैंने गुजारी है रात जुदाई की ।
तकियों पर पड़े निशां सुनायेंगे कहानी मेरी तबाही की।१।
शायद तुमको एतबार न हो तकिये की गवाही की।
एक पल एक लम्हा सदियों सा लगा है इंतज़ार में माही की।२।
तुमने क्या सोचा था कि हम तुम्हें यूँ ही भुला देंगे।
तुम अकेले में मत सुनना कभी मेरी बरबादी के किस्से, #Life#Love#प्यार#शिकायत#ग़ुलाब#vद्रोही