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“तबीयत” आज तबीयत में थोड़ी खराबी सी है। थोड़ी

“तबीयत” 

आज तबीयत में थोड़ी खराबी सी है।
थोड़ी तीखी,थोड़ी मीठी जबाबी सी है।।

उम्मीद तो नहीं की वो याद भी करती होगी।
जाने क्यूं, मगर हिचकियां थोड़ी पहचानी सी है।।

मौसम सर्द होरहा हैं, थोड़ा दर्द होरहा हैं।
बैठा हूं तेरे यादों की जद में,मन भी थोड़ी गुलाबी सी हैं।।

जिंदगी तो फ़ना: हो ही जायेगा,
तेरे बाहों में सर रखकर सो ही जायेगा। 
मगर,
उम्र का ये दौड़ भी कैसा मज़ेदार है, 
की,मन भी थोड़ी शराबी सी है, थोड़ी नबाबी सी है।।

धैर्य की धूरी अब टूट गई, क्या हुआ.?
 जो सनम ही रूठ गई,
सपने सारे जाने मेरे ख़्वाबी सी है, शबाबी सी है।

तेरी-मेरी कहानी “Prabhat” किताबी सी है…..2.।।

                       शेर :-
"अबकी बरसी सावन तो वो गमगीन थी बारिश।
आंखों से उतरी तो वो नमकीन थी बारिश"।।

©Prabhat Singh Bharti
  "तबीयत"

"तबीयत" #शायरी

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