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संकरा रास्ता, कुआं, समाधि, और ऊंची दीवार आए थे लोग

संकरा रास्ता, कुआं, समाधि, और ऊंची दीवार
आए थे लोग बैसाखी का त्यौहार मनाने
पर हो गए अंग्रेजों की गोली का शिकार
 कोई कूदा कुएं में, वह स्थान बन गया पल भर में, जैसे हो वो शमशान
 था अपना ही भारत?अपने ही लोग? अपना ही त्यौहार?जिसे मनाने आए थे
 पर अंग्रेजों के शासन के चलते कुछ भी ना कर पाए थे।
 इतनी निर्दयता, इतना क्रोध, इतनी चालाकी लेकर 
आखिर क्यों अंग्रेज अपने भारत आए थे।
हम हिंदुस्तानी हैं, हम तो आदर सत्कार करते हैं
 करके बस हिंदुस्तानी होने का फर्ज निभाये थे
दिल के साथ, उन्हें जगह दे दी, बस इसकी सजा पाए थे।।

©Shivani goyal आखिर क्यों? अच्छाई के साथ बुराई होती है?
संकरा रास्ता, कुआं, समाधि, और ऊंची दीवार
आए थे लोग बैसाखी का त्यौहार मनाने
पर हो गए अंग्रेजों की गोली का शिकार
 कोई कूदा कुएं में, वह स्थान बन गया पल भर में, जैसे हो वो शमशान
 था अपना ही भारत?अपने ही लोग? अपना ही त्यौहार?जिसे मनाने आए थे
 पर अंग्रेजों के शासन के चलते कुछ भी ना कर पाए थे।
 इतनी निर्दयता, इतना क्रोध, इतनी चालाकी लेकर 
आखिर क्यों अंग्रेज अपने भारत आए थे।
हम हिंदुस्तानी हैं, हम तो आदर सत्कार करते हैं
 करके बस हिंदुस्तानी होने का फर्ज निभाये थे
दिल के साथ, उन्हें जगह दे दी, बस इसकी सजा पाए थे।।

©Shivani goyal आखिर क्यों? अच्छाई के साथ बुराई होती है?
shivanigoyal4761

Shivani Goyal

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