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लेतीं हूँ जब भी क़लम हाथ में ,ख़्वाबों की ताबीर बन

लेतीं हूँ जब भी क़लम हाथ में ,ख़्वाबों  की ताबीर बन जाती है ,
ज़हन में उभरता है अक्स तेरा ,दिल मे तेरी तस्वीर बन जाती है,

लिखती  हूँ तुझे  दिल  के  कोरे  काग़ज़  पर , बनाकर ग़ज़ल,
ख़ुदा  की   इबादत   में  लिखी  हुई  , एक ज़ाकिर बन जाती है,

इश्क़  तेरा  रूह  में  समाया  है , दिल  मे  धड़कनों की तरह, 
तू है मेरी साँसो का हिस्सा , मेरा दिल तेरी जागीर बन जाती है,

दुनिया की हर हद से परे है , मेरी पाकीज़ा  मोहब्बत तुझसे,
कभी बन जाती है परवाज़ मेरी ,कभी पाँव की जंजीर बन जाती है।।
                                                       -पूनम आत्रेय

©poonam atrey
  #तेरी_तस्वीर 
#पूनमकीकलमसे 
#नोजोटोराइटर्स  Subhash Chandra Richa Mishra HINDI SAHITYA SAGAR Anil Ray pramod malakar  वंदना .... Banarasi.. Ravikant  Dushe  Mili Saha jitendra sharma  एक अजनबी बादल सिंह 'कलमगार' Kamlesh Kandpal Manoj Mongia पथिक..  AD Grk Praveen Jain "पल्लव" Mili Saha बादल सिंह 'कलमगार' Sita Prasad  Margoob Ansari Rakesh Srivastava Navash2411 Dayal "दीप, Goswami.. Saloni Khanna  Kamlesh Kandpal Vishwnath Desai पथिक.. Rajesh Arora Sita Prasad  -hardik Mahajan दीप बोधि Prof. RUPE