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मैं भी बड़ा हो रहा हु धीरे धीरे हा खड़ा हो रहा हु धी

मैं भी बड़ा हो रहा हु धीरे धीरे
हा खड़ा हो रहा हु धीरे धीरे
फिर मुझसे उम्मीद करना कि
मेरे अंदर भी संस्कार आ जाये
हमे भी किसी पर प्यार आ जाये
कितनी जायज है इस नाजायज से ये
मांग इसका भी तुझे भान हो जाये
ये बड़ी बड़ी बात देशभक्ति
बड़ो का सम्मान,झंडे का मान
कहा से किस लिए
मुझे अब भी बस तलाश होती है
शायद शाम को कोई चबूतरा
पुल के नाले की पाइप
या फिर कोई एक खाली मकान 
जहां चैन की एक रात गुजर जाये

©ranjit Kumar rathour
  एक शाम जिंदगी की
#छोड़ो भी यार
#मुश्किल में जान

एक शाम जिंदगी की #छोड़ो भी यार #मुश्किल में जान #कविता

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