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वाह रे नसीबा..! वाह..रे नसीबा,तुने खेल ऐसा खेला भी

वाह रे नसीबा..!
वाह..रे नसीबा,तुने खेल ऐसा खेला
भीड में दुनिया की मै पड गया अकेला ||
घाव कीया है बहोत गहरा
जीवन था मेरा सुनहरा,
एक ही पल मे तुने,सबकुछ
कैसे बदल डाला
वाह रे नसीबा! तुने खेल ऐसा खेला ||
पलको पे बिठाते थे,जो मुझे हमेशा
हुई शायद मुझसे,उनकी बहुत ही निराशा
क्रृर मर्दन ने तेरे..मुझे कमजोर बना डाला
वाह रे नसीबा तुने खेल ऐसा खेला ||
क्या था दोष मेरा,जो सजा तूने दे दी
एक ही पल मे तूने जान मेरी ले ली
क्या भरोसा करूं अब तेरा..
तूने मेरे विश्वास का,दम है निकाला
वाह रे नसीबा तुने खेल ऐसा खेला
भीड में दुनिया की मै पड गया अकेला ||

©Samadhan Navale वाह.. रे नसीबा !

#seashore
वाह रे नसीबा..!
वाह..रे नसीबा,तुने खेल ऐसा खेला
भीड में दुनिया की मै पड गया अकेला ||
घाव कीया है बहोत गहरा
जीवन था मेरा सुनहरा,
एक ही पल मे तुने,सबकुछ
कैसे बदल डाला
वाह रे नसीबा! तुने खेल ऐसा खेला ||
पलको पे बिठाते थे,जो मुझे हमेशा
हुई शायद मुझसे,उनकी बहुत ही निराशा
क्रृर मर्दन ने तेरे..मुझे कमजोर बना डाला
वाह रे नसीबा तुने खेल ऐसा खेला ||
क्या था दोष मेरा,जो सजा तूने दे दी
एक ही पल मे तूने जान मेरी ले ली
क्या भरोसा करूं अब तेरा..
तूने मेरे विश्वास का,दम है निकाला
वाह रे नसीबा तुने खेल ऐसा खेला
भीड में दुनिया की मै पड गया अकेला ||

©Samadhan Navale वाह.. रे नसीबा !

#seashore

वाह.. रे नसीबा ! #seashore #कविता