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मैं उन से बिछड़ कर भी, उसकी राह देखता रह गया। मिल

मैं उन से बिछड़ कर भी, उसकी राह देखता रह गया। 
मिली भी राह मे थी तो,वह सिंदूर मे थी। 
और मै देखता रह गया ।। 
उन रात जुगनूओं ने भी रातों से रंजिश कर ली थी। 
मेंहताब भी उस मंज़र देख टुकढ़ो में बट गया फिर भी देखता रह गया।।

©BHARAT BHUSHAN ROY
  #Hum  Pkroy