तेरी मासूमियत क्यों मुझे सताती हर पल तेरी याद है आती बोलने का क्या अंदाज़ है तेरी चुभन मेरे दिल को भाता नाराज़ तेरी हो जानें पर मानने को मन बार बार करता कही भूल न जाना मुझको दिल मुझसे यह सवाल है करता भूख बहुत होता पेट में अंदर निवाला एक न जाता रात भर जग कर न सोता दिन में क्यों नींद न आता तलब तेरा चढ़ा है मुझको भाता नही और कोई मुझको जीकर मैं मर रहा हूं यह बात बताऊं किसको ©Pawan Munda तेरी मासूमियत मुझे क्यों सताती है