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जब कभी उम्मींदे मिल जाती है धूल में जाने कितनों को

जब कभी उम्मींदे मिल जाती है धूल में
जाने कितनों को कोसता है मन,भूल में।

जिंदगी बहुत कुछ सिखाती है हमें कमलेश
बेहतर हो हम जिंदगी चलाये किसी उसूल में

खुद के ही इर्द गिर्द रह गये हम कमलेश
तितलियाँ क्या नहीं मडराती  फूल में।

©Kamlesh Kandpal
  #BlownWish