वो बाद बरसों के घर को आया ,कसक सारी निकली,
पत्थर से पत्थर टकराया जब जब तो चिंगारी निकली,
मैं सोचता था वो मेरी बर्बादी से नावाक़िफ़ है,
मुझको ख़तम करने वालों से उसकी ही यारी निकली,
हर इक गली के लड़के पड़ें हैं उसी के पीछे यूं,
जैसे शहर में हो नौकरी कोई सरकारी निकली, #ghazal#yqbaba#इश्क़#yqdidi#ग़ज़ल#वोफिरआएगी