बात करते रहो मुहब्बत में । दाग़ लगने न पाये इज्ज़त में ।।१ है वफ़ा का यही तराजू देखो । छोड़ना तू नहीं मुसीबत में ।।२ प्यार नापाक तू नही करना । ढाल ले अब इसे इबादत में ।।३ बात ज्यादा बड़ी नही करता । लुट गया मैं इसी शराफ़त में ।।४ खून के पी रहा यहाँ आसूँ । जख़्म जब से मिला मुहब्बत में ।।५ आज शुक्रिया अदा करो उनका । ज़ाँन जो दे रहे हिफ़ाज़त में ।।६ तुम सिखाओ न इल्म हमको अब । जो बुजुर्गों से मिली विरासत में ।।७ आज भी हम डगर नही बदले । सीख जो भी लिया नसीहत में ।।८ आज भाषण नही प्रखर सुनना । पूछना हर सवाल क़ामत में ।।९ ०४/०४/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR बात करते रहो मुहब्बत में । दाग़ लगने न पाये इज्ज़त में ।।१ है वफ़ा का यही तराजू देखो । छोड़ना तू नहीं मुसीबत में ।।२ प्यार नापाक तू नही करना । ढाल ले अब इसे इबादत में ।।३