शीर्षक - अभी जिन्दा हूँ मैं और याद है सब कुछ मुझको -------------------------------------------------------------------- अभी जिन्दा हूँ मैं और याद है सब कुछ मुझको। तुमको दूंगा सजा वैसी, जैसी दी है तुमने मुझको।। अभी जिन्दा हूँ मैं-----------------------------।। मिलाया मुझसे क्यों पहले, तुमने हाथ अपना। बनाया मुझको क्यों साथी, तुमने पहले अपना।। क्यों छोड़ा अब साथ मेरा,मुझको जवाब दे तू। वरना नहीं रहने दूंगा, मैं चैन से अब तुझको।। अभी जिन्दा हूँ मैं----------------------------।। अपने लहू से मैंने सींचा है, तुम्हारे इस चमन को। पीकर आँसू अपने मैंने, खुश रखा है तेरे मन को।। क्यों समझा खिलौना तुमने, मेरे मासूम दिल को। आबाद कभी नहीं होने दूंगा, अब मैं तुझको।। अभी जिन्दा हूँ मैं-----------------------------।। देखकर मेरी मुफलिसी, तुम हंसते हो बहुत। करते हो मेरी बदनामी, तुम महफ़िल में बहुत।। कैसे हुए ख्वाब पूरे तुम्हारे, मैं जानता हूँ। मेरी तरहां ही रुलाऊंगा, मैं बहुत तुझको।। अभी जिन्दा हूँ मैं---------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा ऊर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #अभी जिंदा हूँ मैं