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gurudeenverma5793
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Gurudeen Verma

एक सरकारी शिक्षक, नांदिया(सिरोही

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Gurudeen Verma

शीर्षक - बधाई हो बधाई, नये साल की बधाई
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(शेर)- कैसे हो सपनें हमारे, आने वाले नये साल में।
         कैसी करें हम दुहायें, आने वाले नये साल में।।
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बधाई हो बधाई, नये साल की बधाई।
खावो तुम मिठाई, नये साल की मिठाई।।
नये साल की शुभकामना, आप सभी को।
खुशियों और तरक्की की, दुहाई हो दुहाई।।
बधाई हो बधाई --------------------------।।

हंसकर करें स्वागत, हम नये साल का।
हर पल हो खुशनुमा, इस नये साल का।।
मिले कामयाबी जीवन में, आप सभी को।
निराशा और दुःखों की, अब हो विदाई।।
बधाई हो बधाई --------------------------।।

आवो मिलकर गाये, गीत हम अमन के।
मुरझाये नहीं फूल कभी, अपने चमन के।।
समृद्ध सभी परिवार हो, आने वाले साल में।
किसी चेहरे पे नहीं हो, उदासी और रुलाई।।
बधाई हो बधाई ---------------------------।।

भाईचारा और एकता, अखण्ड रहे देश में।
गंगा- जमुनी तहजीब, जिन्दा रहे देश में।।
राष्ट्रभक्ति का भाव हो, यहाँ सभी के खून में।
जाति- धर्मों की कभी भी, नहीं हो लड़ाई।।
बधाई हो बधाई --------------------------।।



शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #Newyear2024
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Gurudeen Verma

शीर्षक- जी.आजाद मुसाफिर भाई(16)
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गांव - गांव और शहर-शहर से गुजरा एक बटोही।
चलता जाये ,गाता जाये, मैं मुहब्बत का राही ।।
जी.आज़ाद मुसाफिर भाई, जी.आज़ाद मुसाफिर भाई।
गाँव गाँव और शहर शहर से----------------।।


भाई मेरा शरणागत जो रहता था जन्नत में।
कुछ दिन वहाँ गुजारे मैंने, गोया पंछी हाजत में ।।
ताईद करता हूँ भाभी की, ममता की है मूरत।
फकत उसी की तारीफ से मैं, मुहब्बत का इलाही।।
जी.आज़ाद मुसाफिर भाई, जी.आज़ाद मुसाफिर भाई।
गांव गांव और शहर शहर से----------------।।


बचपन में एक सपना देखा,बनना है मुझे डॉक्टर।
मुफ़लिस का मर्ज दूर करूंगा, रहमी दिल मैं बनकर।।
बेजा एक तुफान ने आकर,कर दिया मुझको घायल।
फकत उसी की सोहबत से मैं, मुहब्बत का रुजाई ।।
जी.आज़ाद मुसाफिर भाई, जी.आज़ाद मुसाफिर भाई।
गाँव गाँव और शहर शहर से----------------।।


नाहक,दीवाना और शायर, आकर यहाँ मैं हो गया।
खूबसूरत एक हसीन फूल का,आशिक दिल से हो गया।।
लेकिन मुझको छोड़ गया वह, करके मेरी बदनामी।
फिर भी नहीं है उससे नफरत, मैं मुहब्बत का वफाई।।
जी.आज़ाद मुसाफिर भाई, जी.आज़ाद मुसाफिर भाई।
गांव गांव और शहर शहर से----------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
 गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार
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Gurudeen Verma

शीर्षक - एक इस आदत से, बदनाम यहाँ हम हो गए
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 एक इस आदत से, बदनाम यहाँ हम  हो गए।
साथ कोई देता नहीं, बन्द सारे काम हो गए।।
एक इस आदत से --------------------------।।

उनसे क्यों नहीं शिकायत, बोलते हैं सदा जो झूठ।
कह दी बात दिल की नशे में, बदजुबां हम हो गए।।
एक इस आदत से ---------------------------।।

शौक यहाँ किसको नहीं है, हुस्न और मौजों का।
महफ़िल जो हमने सजाई है, परेशान सब हो गए।।
एक इस आदत से -----------------------------।।

फूल तो तोड़े हैं सबने, दिल में खुशबू भरने को।
हमने किसी से प्यार किया तो, शैतान हम हो गए।।
एक इस आदत से ------------------------------।।

रोकते उनको नहीं क्यों, बेचते हैं जो ईमान।
मांगा हमने इंसाफ तो, नाराज लोग हो गए।।
एक इस आदत से ---------------------------।।



शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार
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Gurudeen Verma

शीर्षक - चाहे हमको करो नहीं प्यार, चाहे करो हमसे नफरत
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चाहे हमको करो नहीं प्यार, चाहे करो हमसे नफ़रत।
 लेकिन तुम करना नहीं, हमको कभी भी बेइज्जत।।
चाहे हमको करो नहीं प्यार --------------------।।

मानेंगें हम बात तुम्हारी, लेकिन वह पसंद हो हमको।
और नहीं हो इसमें भी, तुम्हारी कभी भी कोई शर्त।।
चाहे हमको करो नहीं प्यार ---------------------।।

तोड़ दे उनसे कैसे वास्ता, जिनसे हमारा है लहू का रिश्ता।
हम तो रहेंगे उनके साथ भी, उनकी है हमको जरूरत।।
चाहे हमको करो नहीं प्यार ---------------------।।

चेहरा हमारा यही है असली, इसपे पर्दा क्यों करना।
शौकीन नहीं हम नकाब के, चाहे कहो तुम बदसूरत।।
चाहे हमको करो नहीं प्यार --------------------।।

यह बस्ती ,यह हस्ती हमको, जान से भी प्यारी है।
यही हमारी पहचान है, चाहे हमको समझो बदकिस्मत।।
चाहे हमको करो नहीं प्यार ---------------------।।



शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार
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Gurudeen Verma

शीर्षक - ऐसे है हम तो, और सच भी यही है
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ऐसे हैं हम तो, और सच भी यही है।
छुपाने को तुमसे, कुछ भी नहीं है।।
अब चाहे कुछ भी करो फैसला तुम।
इससे शिकायत हमको, कुछ भी नहीं है।।
ऐसे हैं हम तो, और----------------------।।

नहीं है हमारा, चांद सा मुखड़ा।
नहीं है तन पे हमारे, सोने का कपड़ा।।
इस छोटे से घर में रहते हैं हम तो।
हमारे पास महल- दौलत, कुछ भी नहीं है।।
ऐसे हैं हम तो, और----------------------।।

इनसे जुड़े हैं, हमारे तो रिश्तें।
इन्हीं के संग हम, जीते हैं हंसते।।
और इसी मिट्टी में, हमने जन्म लिया है।
इससे मगर नफरत हमें, कुछ भी नहीं है।।
ऐसे हैं हम तो, और----------------------।।

पहनना नकाब, हमको नहीं पसंद है।
और नकली हंसी, हमको नहीं पसंद है।।
बेचना नहीं है हमको, अपना ईमान।
लुटाना अपना घर हमें, पसंद भी नहीं है।।
ऐसे हैं हम तो, और----------------------।।



शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार
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Gurudeen Verma

शीर्षक - हमारा गुनाह सिर्फ यही है
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हमारा गुनाह सिर्फ यही है।
यह जो शराब हम पीते हैं।।
इसीलिए तुमने यह दी है सजा।
इसीलिए नफ़रत तुम करते हैं।।
हमारा गुनाह सिर्फ  -------------।।

कभी प्यार हमसे, करोगे तुम।
अक्सर ऐसा सोचते थे, हम।।
कभी तुमने हमको नहीं माना अपना।
 गम की दवा हम जो , इसे कहते हैं।।
हमारा गुनाह सिर्फ ------------------।।

हमपे नहीं तुमको, आया रहम।
करते रहे तुम, हम पर सितम।।
मगर जिंदगी से, हमको है प्यार बहुत।
अपना सहारा हम जो, इसे कहते हैं।।
हमारा गुनाह सिर्फ ------------------।।

जो पीते नहीं क्या, पापी वह नहीं है।
नहीं बोलते झूठ क्या, बुरे वह नहीं है।।
क्यों कैसे हमको वह, गले नहीं लगाते हैं।
पीकर इसको हम यह, सच जो कहते हैं।।
हमारा गुनाह सिर्फ ------------------।।



शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार
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Gurudeen Verma

शीर्षक - बहुत ही हसीन तू है खूबसूरत
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बहुत ही हसीन तू है खूबसूरत।
तुमसे है मुझको सच्ची मोहब्बत।।
एक पल जुदा तुमसे रहता नहीं हूँ।
तुम्हें मानता हूँ मोहब्बत की मूरत।।
बहुत ही हसीन तू -------------------।।

हंसाती हो मुझको, मुझसे लिपटकर।
हंसती है कलियाँ भी, तुमसे मिलकर।।
सुनाते हैं नग़में, बहारों के झौंकें।
पाकर तुम्हें मेरी चमकी है किस्मत।।
बहुत ही हसीन तू -------------------।।

तुम्हारी अदाओं पे, कुर्बान मैं हूँ ।
तुम्हारी आँखों का, संसार मैं हूँ ।।
रखती हो मुझको, जुल्फों में छुपाकर।
 तुमसे नहीं, मुझको कोई  शिकायत।।
बहुत ही हसीन तू -------------------।।

बहुत की है हमने, सँग सँग दुहायें।
 उम्रभर निभाने को, अपनी वफायें।।
खुशी ख्वाब है तू , मेरी जिंदगी की।
देता हूँ तुमको, बहुत मैं इज्जत।।
बहुत ही हसीन तू -------------------।।



शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

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Gurudeen Verma

शीर्षक - क्यों हो गया अब हमसे खफ़ा
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क्यों हो गया अब हमसे खफ़ा।
क्या हो गई हमसे ऐसी ख़ता।।
क्यों आती नहीं अब याद हमारी।
तू परदेशी यह हमको बता।।
क्यों हो गया--------------------।।

कम से कम याद, उनको तो कर ले।
दिया प्यार जिन्होंने, उन्हें प्यार कर ले।।
क्यों तोड़ता है, उनका दिल ऐसे।
क्यों नहीं तू अब, उनसे वफ़ा।।
क्यों हो गया--------------------।।

क्यों नहीं फिक्र, तुम्हें उस घर की।
जलाई थी ज्योति, जिसने सहर की।।
क्यों कर दिया तुने, वहाँ अब अंधेरा।
तुमको हुआ है क्यों किसका नशा।।
क्यों हो गया----------------------।।

क्यों छीन ली, उन आँखों की खुशियाँ।
क्यों रौंद दी, उस बाग की कलियाँ।।
सींचा था जिसको, अरमां से हमने।
क्यों नहीं तू अब, वैसे सफ़ा।।
क्यों हो गया--------------------।।



शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार
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Gurudeen Verma

शीर्षक - उम्मीद और हौंसला, हमेशा बनाये रखना
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उम्मीद और हौंसला, हमेशा बनाये रखना।
होना नहीं निराश, जिंदगी को हंसाये रखना।।
उम्मीद और हौंसला ------------------------।।

सहते हैं कितनी धूप, ये दरख़्त इस जमीं पर।
इनकी तरह तू खुद में, हिम्मत बनाये रखना।।
उम्मीद और हौंसला ------------------------।।

नदियों की राह में आते हैं, कितने पहाड़- मोड़।
इनकी तरह कदम तू , मंजिल पे बनाये रखना।।
उम्मीद और हौंसला ------------------------।।

पूनम हो या अमावस, चाहे मौसम हो कोई भी।
सूरज- सितारों की तरह, रोशनी बनाये रखना।।
उम्मीद और हौंसला ------------------------।।

काँटें हो या तूफ़ां, या साथ नहीं हो कोई भी।
 देगा खुशी खुदा तुम्हें, ख्वाब बनाये रखना।।
उम्मीद और हौंसला ------------------------।।



शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गजल_सृजन
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Gurudeen Verma

शीर्षक - माशा अल्लाह, तुम बहुत लाजवाब हो
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माशा अल्लाह, तुम बहुत लाजवाब हो।
बहुत हसीन हो तुम, एक माहताब हो।।
माशा अल्लाह तुम-------------------।।

गुलाब जैसे लब तेरे, आँखें तेरी मधुशाला है।
हंसी तेरी फूलों सी है, फूलों सा तुम शबाब हो।।
माशा अल्लाह तुम-------------------------।।

लहराती तेरी ये जुल्फें, लाती है दिल में बहार।
कशिश है तेरे चेहरे में, तुम मीठी एक शराब हो।।
माशा अल्लाह तुम--------------------------।।

कमाल है तेरी अदायें, मस्ती है इनमें मौजों सी।
मकबूल हो तुम जमीं पर, दीवानों का तुम ख्वाब हो।।
माशा अल्लाह तुम--------------------------।।

बनाया होगा खुदा ने, तुमको फुरसत में ही।
मूरत हो तुम प्रेम की, मोहब्बत की तुम किताब हो।।
माशा अल्लाह तुम----------------------------।।



शिक्षक एवं साहित्यकार 
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद 
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

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