Nojoto: Largest Storytelling Platform

आंखों में रहा दिल में उतरकर नहीं देखा, कस्तीके मुस

आंखों में रहा दिल में उतरकर नहीं देखा,
कस्तीके मुसाफ़िर ने समन्दर नहीं देखा।

 बेवक्त अगर जाउंगा,सब चौंक पड़ेंगे,
इक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा।

जिस दिन से चला हूं मेरी मंज़िल पे नज़र है आंखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा।

 ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं,
तुमने मेरा कांटो भरा बिस्तर नहीं देखा।

पत्थर दिल कहता है मुझे मेरा चाहने वाला मैं मोम हूं उसने मुझे  छूकर नहीं देखा।
-बसीर

©Deep Bodhi दीप बोधि
  आंखों में रहा......बसीर

आंखों में रहा......बसीर #शायरी

1,961 Views