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इससे तो अच्छा ये होता की निजी जिंदगी में शब्दों का उल्लंघन ना होता. गलती से हो भी जाता है तो अपनी गलती को मान कर माफी मांगी जाती. आपसी उलझने मध्यम मार्ग निकालकर सुलझायी जाती. समाज के सामने दोगली बात करने की अवश्यकता ना पडती. इसकी क्या गॅरंटी की फीर निजी जिंदगी में वही सब दोहराया ना जायेगा. दिखावे की आदत बहुत खराब होती है. अगर इस तरहा इन्सान होता कुछ है और दिखाता कुछ है ❗
तो दुसरों का भरोसा खो देता है और भरोसा करनेवाले ही उसमें पिस जाते है.
रश्मि 'रतीबा'
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