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जो दिन के उजाले में न मिला निगाहें ढुंढती उस सपने

जो दिन के उजाले में न मिला
निगाहें ढुंढती उस सपने को रातों में
युहीं खुली रहती है निगाहें मेरी
की सुकुन भरी नींदो ने आने से मना कर दिया
दीदार कैसे करें तुम्हारा की हकीकत में रूबरू होती नहीं और ख्वाबों में आना छोड़ दिया

©SAHIL KUMAR
  तलाश सपनों की
sahilkumar8501

SAHIL KUMAR

New Creator

तलाश सपनों की #शायरी

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