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Autumn कोई नहीं ..कोई नहीं कोई नहीं हैं अपने फिर

Autumn कोई नहीं ..कोई नहीं

कोई नहीं हैं अपने 
फिर भी सजाये हुए हैं सपने
हँसना जानू न मैं रोना
दिल का है खाली हर इक कोना
मिलने की चाहत न बिछुड़ने के डर
बस चलते जाना चाहे हो कोई डगर
कोई नहीं ...कोई नहीं
कोई नहीं हैं अपने

©अनिल कसेर "उजाला"
  #autumn