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रंगो रस की हवस और बस मसल्लहा दस्तरस और बस । सब

रंगो रस की हवस  और बस
मसल्लहा दस्तरस  और बस ।

सब तमाशा ए कुन खत्म शुद,
कह दिया उसने बस  और बस ।

उस मुसव्विर का हर सहकार,
60 65 बरस  और बस ।

यूं बनी है रगे जिस्म की,
एक नस टस से मस  और बस ।।

-- अमर इकबाल ✒️ रंगो रस की हवस  और बस
मसल्लहा दस्तरस  और बस ।

सब तमाशा ए कुन खत्म शुद,
कह दिया उसने बस  और बस ।

उस मुसव्विर का हर सहकार,
60 65 बरस  और बस ।
रंगो रस की हवस  और बस
मसल्लहा दस्तरस  और बस ।

सब तमाशा ए कुन खत्म शुद,
कह दिया उसने बस  और बस ।

उस मुसव्विर का हर सहकार,
60 65 बरस  और बस ।

यूं बनी है रगे जिस्म की,
एक नस टस से मस  और बस ।।

-- अमर इकबाल ✒️ रंगो रस की हवस  और बस
मसल्लहा दस्तरस  और बस ।

सब तमाशा ए कुन खत्म शुद,
कह दिया उसने बस  और बस ।

उस मुसव्विर का हर सहकार,
60 65 बरस  और बस ।

रंगो रस की हवस और बस मसल्लहा दस्तरस और बस । सब तमाशा ए कुन खत्म शुद, कह दिया उसने बस और बस । उस मुसव्विर का हर सहकार, 60 65 बरस और बस । #gazal #yqurdu #yqbhaijan #nazam #yqshayari #yqdiary #yqlife