शीशा नही हैं लोग यहां, पर न जाने क्यों चटकने लगे हैं कमियां निकालने को मेरे किरदार में,वो भटकने लगे हैं और 'अंजान' जब अपनी शर्तो पर आगे बढ़ निकले हम कंबख्त दुनियां को ही नही,अपनो को भी खटकने लगे है ©Ankur tiwari शीशा नही लोग यहां, पर न जाने क्यों चटकने लगे हैं कमियां निकालने को हमारे किरदार में,वो भटकने लगे हैं और 'अंजान' जब अपनी शर्तो पर आगे बढ़ निकले हम कंबख्त दुनियां को ही नही,अपनो को भी खटकने लगे है #अंजान अंकुर तिवारी