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दिखावे को जबसे महत्व देने लगे हैं लोग, पाल बैठे है

दिखावे को जबसे महत्व देने लगे हैं लोग,
पाल बैठे हैं बेवजह फिजूलखर्ची का रोग,

चादर भले ही छोटी हो,पैर  पूरे फैलाने हैं,
अपनी दिखावटी रईसी के ठाठ जो दिखाने है,

जरूरतें तो जितनी बढाओ बढ़ती जाती हैं,
मगर सर पर कर्ज़ की  तहे  चढ़ती जाती है,

हैसियत के चक्कर में ,कैफ़ियत बिगड़ जाती है,
बची खुची इज़्ज़त भी ,जड़ से उखड़ जाती है,

जीवन अपना संतुलित रखिये,अगर सुकून पाना है,
चादर से बाहर पैर फैलाये तो,सुकून उधड़ जाना है।।
                                                -पूनम आत्रेय

©poonam atrey
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