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कुछ ख्वाहिशों को जुबान दी,कुछ जख्मो को आजाद किया ,

कुछ ख्वाहिशों को जुबान दी,कुछ जख्मो को आजाद किया ,
पुराना मुजरिम हूँ, सो  गुनाह ए शायरी फिर इक बार किया
-सुगंध #gunah #mujrim #शायरी
कुछ ख्वाहिशों को जुबान दी,कुछ जख्मो को आजाद किया ,
पुराना मुजरिम हूँ, सो  गुनाह ए शायरी फिर इक बार किया
-सुगंध #gunah #mujrim #शायरी