कितने छोटे दिलवाले थे, एक नाम न रख पाए अंदर। कितने बड़े है नाम सभी, दिल जिनसे छोटा पड़ता है। अपनी मर्जी,खुदगर्जी में, जो मुफ्त में इश्क लड़ाते हैं। अपनी मर्जी,खुदगर्जी में, क्यों सिक्का खोटा पड़ता है।। ©निर्भय चौहान #raindrops Naresh suthar एक Mohabbati विधार्थी